कविता संग्रह >> भाव कलश भाव कलशरामेश्वर कम्बोज
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भाव कलश...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
ताँका अनुभव की कविता है, जिसमें उपमान योजना प्रयोग उसे और भी गहन और सम्प्रेषणीय बना देता है। यह हमें संज्ञा के काव्य से क्रिया के काव्य तक ले जाता है, जहाँ स्पष्ट वाणी से व्यक्त किया जाता है। सरल शब्दों में कहा जाए तो यह धागे से कपड़े तक का, बीज से पौधे तक, रेखाओं से रंगदार चित्र तक या स्वरों से संगीत तक का सफर है।
इस काव्य शैली का मुख्य लक्षण है कि इसमें भावनाओं का पूर्ण विस्तार सहज व संश्लिष्ट रूप में किया जाता है। शब्दों की पहुँच से परे की सांकेतिक भाषा का प्रयोग इसे और भी अधिक प्रभावी और अर्थगर्भित बना देता है।
सितम्बर 2011 में ‘त्रिवेणी’ ब्लॉग शुरू किया गया। इस ब्लॉग पर हिन्दी साहित्य की तीन विधाओं-हाइगा-ताँका-चोका में साहित्य प्रकाशित किया जा रहा है। इसके माध्यम से विश्व भर के रचनाकारों को ताँका से जोड़ने का प्रयास किया गया है जिनमें से 29 कवियों के तोंका का चुनाव कर यह ‘भाव-कलश’ बना है। हिन्दी में एक साथ इतने रचनाकारों का प्रथम विनम्र प्रयास है यह। हम सबकी यह कोशिश रही है कि सभी के मन-त्रिंजण में लगे भावों के मेले से कुछ भाव लेकर एक ऐसा तोंका संकलन प्रस्तुत किया जाए; जिसे पढ़कर लगे कि ताँका-संग्रह हो तो ‘भाव-कलश’ जैसा।
इस काव्य शैली का मुख्य लक्षण है कि इसमें भावनाओं का पूर्ण विस्तार सहज व संश्लिष्ट रूप में किया जाता है। शब्दों की पहुँच से परे की सांकेतिक भाषा का प्रयोग इसे और भी अधिक प्रभावी और अर्थगर्भित बना देता है।
सितम्बर 2011 में ‘त्रिवेणी’ ब्लॉग शुरू किया गया। इस ब्लॉग पर हिन्दी साहित्य की तीन विधाओं-हाइगा-ताँका-चोका में साहित्य प्रकाशित किया जा रहा है। इसके माध्यम से विश्व भर के रचनाकारों को ताँका से जोड़ने का प्रयास किया गया है जिनमें से 29 कवियों के तोंका का चुनाव कर यह ‘भाव-कलश’ बना है। हिन्दी में एक साथ इतने रचनाकारों का प्रथम विनम्र प्रयास है यह। हम सबकी यह कोशिश रही है कि सभी के मन-त्रिंजण में लगे भावों के मेले से कुछ भाव लेकर एक ऐसा तोंका संकलन प्रस्तुत किया जाए; जिसे पढ़कर लगे कि ताँका-संग्रह हो तो ‘भाव-कलश’ जैसा।
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